"मुहब्बत के रंग"
(1)
आस पास घना अंधेरा था । बिजली चमकने की आवाज साफ
सुनाई दे रही थी जिसकी कड्कडाहट में रेन शैल्टर पर बैठा रोहन अकेला सिर्फ और सिर्फ
प्रेरणा को ही याद कर रहा था । “आखिर एसा कैसे हो सकता है जिस लड़की के लिये मैने दिन, रात कुछ नही देखा वह इस
तरह आज नजर अंदाज कैसे कर सकती थी । उसे मेरे साथ एसा नहीं करना चाहिए था” एसे न जाने कितने सवालों के
घेरे में डूबा रोहन अपने चेहरे को एक हाथ से सहारा देते हुए बैठा था । रोहन कि
आंखे भर आई थी और एकटकी लगाये बैठा सामने वाले खंबे को देख रहा था । अचानक से फिर बिजली
चमकी और बादलो में गिढगिढाहट हुई । जिसने रोहन के मायूस चेहरे को चौंका दिया । वह
अचानक उठ खड़ा हुआ और अपनी आंखे पोंछते हुए आस पास देखने लगा । रात के अंधेर में
कुछ भी दिखाई न दे रहा था । उसने जेब से अपना फोन निकाला और कॉंटेक्ट लिस्ट टटोलने
लगा । फोन पर एक सुंदर सी फोटो के साथ नाम शो हुआ “PRERNA”, यही तो थी रोहन की प्रेरणा । प्यारी सी मुस्कान के साथ दोनो
कॉंटेक्ट प्रोफाईल फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे । फोटो ज्यादा पुरानी नहीं थी
लेकिन जब एक दूसरे के लिये प्यार व समर्पण हो तो सभी रिश्ते सुंदर लगते हैं रोहन
की गर्दन को साइड से दोनो हाथो से घेरे हुए दोनो एक दूसरे को इश्क भरी नजरो से देख
रहे थे रोहन का एक हाथ कंधे पर बैग पकड़े हुए था और दूसरा प्रेरणा की कमर को घेरे
हुए फोटो में साफ नजर आ रहा था । दोनो पूरी तरह से इश्क के रंग में रंगे नजर आ रहे
थें । इसे देख कर रोहन सीये होठों से हल्का सा मुस्कुराया रोहन की आंखे फिर भर आई
थी । आंखो में सैलाब आने को तैयार था, चहरे का रंग पूरी तरह उतर चुका था। रोहन ने
मोबाईल फोन में बैक क्लिक की और प्रेरणा को कॉल करते हुए एक सैकेंड बाद ही फोन काट दिया । वह असंमंजस में था बहुत सारी
शिकायते मन में आ रही थी उसे दिल पर खुद का भी एक बोझ सा महसूस हो रहा था । बहुत
कुछ कहना चाहता था लेकिन मन में इतना गुस्सा भर गया था कि समझ नहीं आ रहा था क्या
करें । उसने एक बार फिर प्रेरणा का नम्बर डायल किया और फिर एक सैकेंड बाद काट दिया
। मन में गुब्बार सा भर गया था । उसे देख कर लग रहा था कि वह रोना चाहता है परंतु
इस समय कोई सहारा भी तो न था जिसके पास वह अपने दर्द को बहते अश्को के साथ ब्यां
कर सकें । काश इस समय कोई कंंधा होता जिस पर सिर रख कर वह खुद को संभालता । खैर रोहन ने उठते हुए आपनी आंखो को पोंछा और एक कदम आगे बढाते हुए खुले आसमान के नीचे बांहे फैलाकर रुंधे हुए गले से चीखते हुए कहने लगा ।
ए चांद, तारो,
आओ देखो मेरी मुहब्बत की कहानी,
मैं वो तारा हूं जो कभी चमका ही नहीं ।
सुन रहे हो न । मैं वो तारा हूं जो कभी चमका ही नही। आज फिर उसने मेरी मुहब्बत को नजरअंदाज कर दिया है । लेकिन मैं भूलूंगा नहीं उसकी किसी भी बात को । देखता हूँ कब तक मुझे दरकिनार करती रहेगी । मेरी मुहब्बत इतनी फीकी भी नहीं के उस पर असर न हो । धीरे धीरे मंद अवाज की तरफ बढते हुए रोहन अपने आप से बहुत कुछ कह रहा था । उसे अभी तक पता नहीं चल पाया कि प्रेरणा ने उसे नजर अंदाज क्यों किया । यह वही प्रेरणा थी जो रोहन के लिये जान की बाजी लगा देने की बात करती थी । खैर, प्रेरणा के बारे में हम अगले अंक में जानेंगे ।
इतने में रोहन को ख्याल आया । ओह ! वह घर पर अपनी बहन से झूठ बोल कर निकला था । उसने अपनी कलाई में घड़ी में टाईम देखा तो 12 बजने वाले थे । उसने खुद को संभाला और अपनी बहन को फोन करते हुए कहने लगा, बच्चा मैं आ रहा हूँ , नये शहर में रास्ता भटक गया था । लेकिन अब सीधा घर आ रहा हूँ । .............1
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