Monday 18 May 2020

एक अदद मास्क ।




एक अदद मास्क।


आज

शस्त्र संपन्न विश्व है निःशस्त्र
वायरस फैला सर्वत्र ।
संपन्न हो या दरिद्र, 
एक है दोनो के प्रति इसका चरित्र ।
विश्व ने साबित किया चीनी अक्रांता,
क्या इटली ,जापान ,स्पेन  अमेरिका 
सबकी जाने ये लील रहा ।
भारत में भी है तांडव को आतुर ,
सुध ले लो तुम इसकी 
हो जाओ इसके लिए निष्ठुर ।
निर्देश सरकार के मानो ,
कर्फ्यू लॉकडाउन का महत्व जानो,
अनुशासन को अपना लो,
हाथ साबुन से धोकर,
सोशल डिस्टैंस बना लो ,
बचाव मे ही बचाव है , 
इसलिए 
घर पर रहकर खुद को बचा लो।
स्वघोषित  शक्तिशाली तुम आत्मघाती न बनो,
अदृश्य दुश्मन के सामने तुम बलशाली न  बनो,
योद्धा हो तो दो चतुरता का परिचय,
कुछ वार  सहकर न करो विस्मय।
विज्ञान न ढूंढ ले जब तक कोई दवा वैक्सीन,
हृदय में आत्मदृढ़ता का सृजन कर
करो दुआ कि रहे आमीन !
उपलब्ध साधनो को शस्त्र बना लो,
अस्थाई ही सही कुछ तो ढाल बना लो।
कि न फैल सके करोना संक्रमण ,
चाहते हो अगर कि करें हम भी इस पर आक्रमण ,
तो है जो तुम्हारे पास एक हथियार ,
सही से प्रयोग करो इसका,
दवा न आती,तब तक इसी से आगे बढ़ाओ टास्क,
नाक मुंह ढककर रखो तुम,
सुनिश्चित करो पहनना एक अदद मास्क ।


#पवन कुमार वर्मा ।
दिनांकः- 18 मई 2020








Thursday 14 May 2020

आजकल हम कुछ खुश रहने लगे हैं......

आजकल हम कुछ खुश से रहने लगे हैं ,
उनसे नहीं शिकायत हम कहने लगे है।

चुप जो थे हम  गमों को लेकर अरसे से,
जिक्र कर उनसे हम बेफिक्र रहने लगे हैं ।

किसी बात की नहीं हम ढूंढते अब वजह,
यूं ही अब हम बेवजह खोये रहने लगें हैं।

न कोई गिला किसी से न कोई रंज ए दिल,
हम तो यूं हीं बेख्याली में डूबे रहने लगे हैं।

कभी जो थे देखकर अपनी खुशी में  खुशी
उनसे मिलके दूसरों के लिये  जीने लगे है।

#पवन कुमार वर्मा 
13 मई 2020


Tuesday 12 May 2020

नर्स

आज,

घिन्न है इंसानो को इंसानो से,
सुखो में भी साथ नहीं रहता कोई ,
लिबाजो से तय होती है इज्जत ,
जख्मो को कुरेदता है हर कोई। 
कोई घायल हो या बीमार 
पड़ा रहता है गरीबखानो में ,
पुलिस छोड़ भी दे अगर अस्पताल ,
तो भी परिजन करते हैं केवल इंतजार ,
अस्पतालो की किसी फर्श पर दिन ढल जाते है ,
जिदंगी चैन से न हुई ,  
मौत तो सूकुन की मिले ,
जिंदगी जिल्लत में गई ,
आखरी वक्त तो इज्जत मिले,
दर्द में विचार ये दिल में भर जाते है।
तब एक हाथ आगे आता है ,
किसी फरिश्ते कि तरह , 
जख्मों पर मरहम कर , 
दवा पट्टी करता है , 
डाक्टर साहब करते हैं जो चैकअप व ट्रीटमैंट,
इंपलीमैंट यही करता है।
लिबाजो का फर्क नहीं समझता,
एक हाथ से ही सबका इलाज कर देता है।
मौत की आस से
उठा कर जिंदगी कि किरण जगा देता है ।
याद रखियें 
यह केवल हाथ नहीं होता , ये भी इंसान होता है ,
जो करता है सेवा निस्वार्थ भाव, 
जिसके हम न पिता है न पुत्र लगते है।
फिर भी निभा जाता है पिता ,पुत्र, बहन जैसे फर्ज ।
और चिता हो चुके इंसान को कर देता है स्वस्थ ।
किसी भी अस्पताल में जायें,
जरुर दिखता है यह फरिश्ता ,
कमतर ही नाम पता चल पाता है,
क्योंकि इसे सभी कहते है सिस्टर ,
डॉ0 भगवान है तो ये भी फरिश्ता है ,
जब अपनो से ज्यादा केयर करती है।
एक नर्स ।


#पवन कुमार वर्मा ।
दिनांक 12 मई 2020 ।

Pics credits to google.


देव बथिंदलु स्तुति



जय हो देवा मेरै बथिंदलुआ.............








जय हो देवा मेरेै बथिंदलुआ, महाराजया मेरे ओ शाटकया।
माता भगवती बोलू तां-साथे, तेरे पूजा करू जियु  क देवा ।।

उंदे के बोलू सतलुज रा किनारा , उबड़ा तैरा मंदिर प्यारा।
बांका अ तेरी भज्जी रा नजारा , गानवीं-पलग स्थान न्यारा।।

पालकी रा तेरी नजारा शोपटा,चार भाये नचाओ जियु लबदा। 
चालो जौ गूर रा शांगल चिमटा ,बाजौ ढोल नगाड़े हरणशिंगा ।

तेरै पंच बैठे बोलौ परमेश्वरो री, फैसले देओ माछ रे हक दै।
जय जय कार  कुर्बाण करो ,तेरे नाओं जप य आवहान् करो।।

अर्जो करु आपणेै दुःख तेरेेै द्वारेै, दुःख सुख लो शुणी तू म्हारे।
बाट जे तू जीवणै रे दिखा , छोटू समझय माफ कर पाप म्हारे।।


किरपा करे राखे तू उम्र सारी, हरे ल म्हरी सारी हारी बमारी।
शक्तेै दे तू जियु दे लड़ने कै, सरीकौ न राखी उम्र ज्यूंदे सारी ।।

जय हो देवा मेरै बथिदलुआ , महाराजया मेरै ओ शाटकया।
माता भगवती बोलू तां-साथे, भूल चूक सारी माफ चाऊ देवा।।

                                                            
 #पवन कुमार वर्मा । 
दिनांक 12.05.2020


शब्दार्थः-
               01. जियु                     - दिल , हृदय
               02. उंदे                      -नीचे की तरफ
               03.  शोपटा                 -सुंदर, मनमोहक
               04.  लबदा, लोब         - लुभावना ,मन मोहक
               05.  गूर                       - एसा इंसान जिसमें देवता प्रवेश करते है ।
               06.  हरण शिंगा           - देवनृत्य में बजाया जाने वाला पहाड़ी वाद्य यंत्र इसे रण शिंगा भी कहते हैं ।
               05. माछ, मैच्छ            - इंसान आदमी,
               06. नाओं                     - नाम
               07. बाट                      - रास्ता
               08. किरपा                  -कृपा , अनुग्रह।
               09. सरीक                   - दुश्मन, बुरा चाहने वाला
               10. चाउ                      -चाहता हूँ ।
           
प्रिय दोस्तो ,
                यह कविता/गीत  भज्जी रियासत के प्रसिद्ध देवता महाराज बथिंदलु जी की स्तुति में भज्जी की स्थानीय भाषा में लिखने का प्रयास किया गया है। देवता बथिंदलु जी का मंदिर गांव पलग,गानवीं ,तैहसील सुन्नी पुरानी रियासत भज्जी  जिला शिमला में है हलांकि इनका पुराना व मूल स्थान गांव पजैली रियासत भज्जी में माना जाता है । देवता बथिंदलु महाराजा के साथ देव शाटका व माता भगवती जी हैे ,साथ ही अन्य शक्तियां भी है , जो देव महाराज बथिंदलू की ध्वजा व परचम को लहराये हुए हैं । इसके अतिरिक्त भज्जी रियासत में ही व शिमला के अन्य स्थानो पर भी देव बथिंदलु  शाटका महाराज व मां भगवती के पूजनीय स्थल है। देव बथिंदलु शाटका महाराज मां भगवती के बारे में यदि आपके पास भी कोई सटीक जानकारी है तो कमैंट सैक्शन में अवश्य लिखें जिससे की हमें भी औऱ अधिक जानकारी प्राप्त होगी ।
                                      धन्यवाद ,
                                                                          #पवन कुमार वर्मा ।


Monday 4 May 2020

निशा-पवन

।।निशा-पवन।।



दूर क्षितिज,ढलते सूरज की ज्योति शिथिल,
सांझ उतरी वसुधा पर ओढ़े तिमिर।


दिन की लाली हुई लुप्त  ,
निशा बावली है आगंतुक। 
खग-विहग दुूबके शाखों में ,
निशाचर निकले विश्रामों से।
नगरो का शोर चला मंद मंद ,
बजने लगे पूजा के शंख घंट,
सांझ बावली हो चली, 
वो मंद मंद निशा हो चली ।


तपती दोपहरी लू अब प्राणघाती न लगे,
ये सांझ पवन अब निशा संग बहने लगे,
ज्यों ज्यों निशा  बिखेरने लगे पंख,
प्राण-वायु,  देती सीने को ठंड।
वो दिन में जो जाने लील चुकी,
लू थी तो किसकी जान बख्शी ?
उषा की प्राणवायु  ,
दिन की लू होकर पाये कलंक,
ज्यों निशा हुई संग, पवन
होने लगी निष्कंलंक ।


आसमां के चंद्र संग टिमटिमाते रहे तारे,
 इधर वसुधा पर निशा संग पवन गोते मारे,
निशाचर है बेफिक्र,प्रकृति है बिल्कुल शांत,
नगर-कस्बे-शहर मौन ,दिन में होते जो अशांत।
आओ इस मौन में निशा के गीत सुने,
गुनगुनाती पवन,के अधरो की प्रीत सुने।
निशा संग विहार गीत गा रही पवन ,
आओ  इनके मिलन गीत सुने ।
आज जब रिश्ते हो गये बंधन,
क्या तुमने देखे है एसे मनमीत,
नफा नुकसान में बन रहे रिश्ते।
न कोई बुनता प्रेम प्रीत, न गाता विरह गीत ।


अठखेलियां जो जारी है इस पहर,
जरूरी है जीवन में , न उठे सिहर ,
नीरस अगर हो चुके,
कभी निकलो प्रकृति में इस पहर , और
सुनो निशा से गुनगुनाती पवन ,
भीतर मन से क्षण भर निहारो ये वन उपवन ,
पल्लवित होगी मन में आशा- किरण ,
नीरस जग में रस का होगा जन्म ,
हृदय में कल्पना पंख प्रस्फुटित करेगी,
निशा-पवन।


#पवन_कुमार_वर्मा।
  06 मई 2020








एक तुम हों, एक हम हो

।। गीत ।। चाहतें , कम न हो । बातें , खत्म न हो। एक तुम हो ,  एक हम हों, न कोई गम हो , जब तुम संग  हो। मैं कहूं तुमको , तुम सुनो न, मैं देखू ...