।। गीत ।। चाहतें , कम न हो । बातें , खत्म न हो। एक तुम हो , एक हम हों, न कोई गम हो , जब तुम संग हो। मैं कहूं तुमको , तुम सुनो न, मैं देखू जरा , तुम रुको न । एक बार, कह दो न। तुम मेरे ......हो। मैं चाहुं तुम्हें , तुम चाहो न , एसा बनें, इक आशियां । न छूटे साथ , हो ये कि, तुम मेरे.......... हो ।, कम न हो , ये मुहबत्तें , यादे कभी खत्म न हो, लम्हों की डोर कहे न , तुम मेरे..... हो। पर्दे न हों , न हो जुदां, दूरियां न हो दरमियां। बातें हों, नजरो से, के तुम मेरे ..... हो। एक तुम हो , एक हम हों, न कोई गम हो , जब संग तुम हो। - पवन कुमार वर्मा " प व न " 12.03.2022
"मुहब्बत के रंग" ( 1) आस पास घना अंधेरा था । बिजली चमकने की आवाज साफ सुनाई दे रही थी जिसकी कड्कडाहट में रेन शैल्टर पर बैठा रोहन अकेला सिर्फ और सिर्फ प्रेरणा को ही याद कर रहा था । “ आखिर एसा कैसे हो सकता है जिस लड़की के लिये मैने दिन, रात कुछ नही देखा वह इस तरह आज नजर अंदाज कैसे कर सकती थी । उसे मेरे साथ एसा नहीं करना चाहिए था ” एसे न जाने कितने सवालों के घेरे में डूबा रोहन अपने चेहरे को एक हाथ से सहारा देते हुए बैठा था । रोहन कि आंखे भर आई थी और एकटकी लगाये बैठा सामने वाले खंबे को देख रहा था । अचानक से फिर बिजली चमकी और बादलो में गिढगिढाहट हुई । जिसने रोहन के मायूस चेहरे को चौंका दिया । वह अचानक उठ खड़ा हुआ और अपनी आंखे पोंछते हुए आस पास देखने लगा । रात के अंधेर में कुछ भी दिखाई न दे रहा था । उसने जेब से अपना फोन निकाला और कॉंटेक्ट लिस्ट टटोलने लगा । फोन पर एक सुंदर सी फोटो के साथ ना...