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ओ भोलेनाथ रे ...

मेरे भोले नाथ !   ओ भोले नाथ रे , नाथो के नाथ , दीनानाथ रे. मेरे भोले नाथ रे.... करा दो भव से बेड़ा पार रे।...........1   ओ भोले नाथ रे , मेरे भोले नाथ रे....   ए विषधर , जटाधर , नीलकंठ , दीनबंधु , हर लो सारे कष्ट मेरे ए श्रीकंण्ठ प्रभु , हटा दो विपदा के बादल ओ भोलेनाथ रे , मेरे भोले नाथ रे.... ओ भोलेनाथ रे... कर दो जीवन खुशहाल , मेरे भोलेनाथ रे ।......2   ओ भोले नाथ रे , मेरे भोले नाथ रे....   ए अनीश्वर , सदाशिव ओ- शंकर शम्भू , करो दया मुझ पर ओ दयानिधान प्रभु , बता दो जीवन का सार ,  ए भोलेनाथ रे ,   मेरे भोलेनाथ रे। ओ भोलेनाथ रे... करा दो भव से मुक्ति पार , मेरे भोले नाथ रे।......3 ओ भोले नाथ रे , मेरे भोले नाथ रे....   -  प व न पवन कुमार वर्मा शिमला, हिमाचल प्रदेश 

खोया हूं पतझड़ सा कहीं ।।

खोया हूं पतझड़ सा कहीं ।। खोया हूं पतझड़ सा कहीं ,आकर बंसंत कर दो। संग कुछ रंग खुशी के,  तुम मेरे जीवन में भर दो ।............1 मालूम नहीं कितना मरा हूं या कितना जिंदा हूँ मैं , बस मेरा साथ देकर तुम ,मुझे फिर जिंदा कर दो।...........2 अधूरी ख्वाहिशे हैं इस दिल में और कुछ टूटे सपने, आशा है पूरे करेंगे , लेकिन तुम मुझे हौंसला भर दो।.........3 उलझ गई  जो डोर  दुनियां की आपाधापी में कहीं , तुम जिंदगी की इस डोर में  एक नई तरंग भर दो ।...........4 तुम्हें देखकर दिल ही दिल पसंद आया हमें किरदार , इल्तेजा है कि हमसफर होकर ये चमन हसीन कर दो ।.........5 - पवन कुमार वर्मा  ( प व न )

हिंदुस्तान मेरी पहचान हो।

कुछ रंग हवाओं  संग आजादी के हो , हो केसर की खुशबू,  हरित चमन  हो , श्वेत वर्ण हो पल्लवित , कण कण में, जन जन- मानस में चैन ओ अमन हो। उस नील गगन से इस मातृभूमि तक  अशोक चक्र सा प्रगतिशील भुवन हो । हो हिमालय सा दृढ़ निश्चय हर जन में, ख्वाहिशों की खातिर संकल्पित मन हो। गुलामी की जंजीरे न बंधी हो विचारो मेें, सपनो की उड़ान को उन्मुक्त गगन हो । भाव हो त्याग व बलिदान के , मन में, समर्पित होकर शहीदो  का सम्मान हो ।  तन मन धन न्योछावर हो इस मिट्टी पर , कतरा-कतरा लहू  भारत मां के नाम हो । एसे कुछ रंग हवाओं संग आजादी के हो , हो तिरंगा शान,हिदुस्तान मेरी पहचान हो । @पवन कुमार वर्मा । 15.08.2020

न्याय।

एक अपराध की कोशिश होती है । और पूरी हो जाती है ।  दर्ज हो जाते है मामले  भिन्न भिन्न धाराओं में चलती है तफ्तीशें ,  अदालतों में पेश होती है दलीलें , पेश होती है आरोपी पक्ष से अपीलें । कोई, रसूखदार हो तो परिचय डगमगा देता है  कदाचित् लोक सेवकों के पांव , लेकिन फिर भी न्याय तो न्याय है , अंततः वह तो मिल ही जाता फरियादी को , लेकिन कर नहीं पाता न्याय , क्योंकि  वह बिक जाता है । नीलाम हो जाता है फरियादी की मजबूरियों में , और गिर जाता है न्याय ,अन्यायी के पाले में । संवेदनाएं अभी भी होती है साथ किंतु फरियादी करता नहीं प्रतिकार, मंजूर कर लेता है अपनी हार, क्योंकि  वह समझता है,  वह नहीं है रसूखदार,  न ही वह कानूनी तजुर्बेकार , उसे नहीं मिल सकता न्याय।  मूंद लेता है आंखे , न्याय देवी की तरह  बांध लेता है वह भी आंखो पर पट्टी , न्याय के तराजू में नहीं डाल पाता सबूतो का भार , न्याय तो न्याय है वह तो लुढक ही रहा है , किसी न किसी पाले में , स्थिर नहीं रहा सका कभी यह,  रहा है स्वतंत्र कब ...

नशा छोड़िये

नशा छोड़िये , नशा छोड़िये , नशा छोडिये, जीने की तरफ, रुख मोड़िये , रुख मोड़िये । किसका हुआ भला , नशे ने  किसकी जान बचाई है । चरस गांजा अफीम से हुआ कौन कब किसका भाई है ? हमने दुश्मन ही बनते देखे  ,नशे में बिखरते रिश्ते देखे , इन बिखरे रिश्तो की लाज बचाने को तो नशा छोड़िये , नशा छोडिये, नशा छोड़िये, जीने की तरफ रुख मोड़िये , रुख मोड़िये । मां-बाप आस लगाए बैठै हैं कि बेटा  घर लौट आयेगा , वो नशे में हो धुत तो मां-बाप पर क्या क्या बीत जायेगा ? हमने टूटते देखे मां बाप, इन आंखो में बुनते सपने देखे , इन सपनो को हकीकत बनाने को तो नशा छोड़िये, नशा छोड़िये नशा छोड़ियें, जीने की तरफ रुख मोड़ियें , रुख मोड़ियें । नन्हे बच्चो की आंखो में तुमको सुपर मैन होते देखा है, इतंजार भरी आंखो में पत्नी को क्या कभी तुमने देखा है? हमने वो सब अरमां देखें, परिवार में तुम खुदा होते देखे, इस खुदाई में घर की खुशियां लाने को तो नशा छोड़िये, नशा छोड़िये, नशा छोड़िये, जीने की तरफ रुख मोड़िये, रुख मोड़िये। इंजै्क्शन चिट्टा लेने वालो तुमको मौत बुरी तरह तड़पायेगी , ये नशे की आदत क...

एक अदद मास्क ।

एक अदद मास्क। आज शस्त्र संपन्न विश्व है निःशस्त्र वायरस फैला सर्वत्र । संपन्न हो या दरिद्र,  एक है दोनो के प्रति इसका चरित्र । विश्व ने साबित किया चीनी अक्रांता, क्या इटली ,जापान ,स्पेन  अमेरिका  सबकी जाने ये लील रहा । भारत में भी है तांडव को आतुर , सुध ले लो तुम इसकी  हो जाओ इसके लिए निष्ठुर । निर्देश सरकार के मानो , कर्फ्यू लॉकडाउन का महत्व जानो, अनुशासन को अपना लो, हाथ साबुन से धोकर, सोशल डिस्टैंस बना लो , बचाव मे ही बचाव है ,  इसलिए  घर पर रहकर खुद को बचा लो। स्वघोषित  शक्तिशाली तुम आत्मघाती न बनो, अदृश्य दुश्मन के सामने तुम बलशाली न  बनो, योद्धा हो तो दो चतुरता का परिचय, कुछ वार  सहकर न करो विस्मय। विज्ञान न ढूंढ ले जब तक कोई दवा वैक्सीन, हृदय में आत्मदृढ़ता का सृजन कर करो दुआ कि रहे आमीन ! उपलब्ध साधनो को शस्त्र बना लो, अस्थाई ही सही कुछ तो ढाल बना लो। कि न फैल सके करोना संक्रमण , चाहते हो अगर कि करें हम भी इस पर आक्रमण , तो है जो तुम्हारे पास एक हथियार , सही से प्रयोग करो इ...

आजकल हम कुछ खुश रहने लगे हैं......

आजकल हम कुछ खुश से रहने लगे हैं , उनसे नहीं शिकायत हम कहने लगे है। चुप जो थे हम  गमों को लेकर अरसे से, जिक्र कर उनसे हम बेफिक्र रहने लगे हैं । किसी बात की नहीं हम ढूंढते अब वजह, यूं ही अब हम बेवजह खोये रहने लगें हैं। न कोई गिला किसी से न कोई रंज ए दिल, हम तो यूं हीं बेख्याली में डूबे रहने लगे हैं। कभी जो थे देखकर अपनी खुशी में  खुशी उनसे मिलके दूसरों के लिये  जीने लगे है। #पवन कुमार वर्मा  13 मई 2020