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नर्स

आज,

घिन्न है इंसानो को इंसानो से,
सुखो में भी साथ नहीं रहता कोई ,
लिबाजो से तय होती है इज्जत ,
जख्मो को कुरेदता है हर कोई। 
कोई घायल हो या बीमार 
पड़ा रहता है गरीबखानो में ,
पुलिस छोड़ भी दे अगर अस्पताल ,
तो भी परिजन करते हैं केवल इंतजार ,
अस्पतालो की किसी फर्श पर दिन ढल जाते है ,
जिदंगी चैन से न हुई ,  
मौत तो सूकुन की मिले ,
जिंदगी जिल्लत में गई ,
आखरी वक्त तो इज्जत मिले,
दर्द में विचार ये दिल में भर जाते है।
तब एक हाथ आगे आता है ,
किसी फरिश्ते कि तरह , 
जख्मों पर मरहम कर , 
दवा पट्टी करता है , 
डाक्टर साहब करते हैं जो चैकअप व ट्रीटमैंट,
इंपलीमैंट यही करता है।
लिबाजो का फर्क नहीं समझता,
एक हाथ से ही सबका इलाज कर देता है।
मौत की आस से
उठा कर जिंदगी कि किरण जगा देता है ।
याद रखियें 
यह केवल हाथ नहीं होता , ये भी इंसान होता है ,
जो करता है सेवा निस्वार्थ भाव, 
जिसके हम न पिता है न पुत्र लगते है।
फिर भी निभा जाता है पिता ,पुत्र, बहन जैसे फर्ज ।
और चिता हो चुके इंसान को कर देता है स्वस्थ ।
किसी भी अस्पताल में जायें,
जरुर दिखता है यह फरिश्ता ,
कमतर ही नाम पता चल पाता है,
क्योंकि इसे सभी कहते है सिस्टर ,
डॉ0 भगवान है तो ये भी फरिश्ता है ,
जब अपनो से ज्यादा केयर करती है।
एक नर्स ।


#पवन कुमार वर्मा ।
दिनांक 12 मई 2020 ।

Pics credits to google.


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