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Showing posts from April, 2020

कुछ ख्वाब अधूरे रहने सही.......

कुछ ख्वाब अधूरे रहने सही....... कुछ ख्वाब अधूरे रहने सही है जिंदगी में , जरुरी तो नहीं ये कि हर ख्वाहिश पूरी मिले।।....1 कुछ न होकर साथ चले जब बेवक्त राहगीर, जरुरी तो नहीं ये कि हर दिल से दिल मिले।।.....2 अगर हम लफ्जो में कहें कि बुरे हेै वो हमसे  , जरूरी तो नहीं ये कि वो  यूं हमारे जैसे मिले।।....3 जाने कितने मिलते हेैं गैरो की खुशी में दुखी , जरुरी तो नही ये कि हर खुशी मे खुशी मिले।।....4 कैसे कहूं कि दौलत में हैं छुपी  खुशियां सारी, कमबख्त कोई दौलत ठुकुरा कर हमसे मिले।।...5 #पवन कुमार वर्मा । अप्रैल 2020

शांति संदेश

शांति संदेश ।। युद्धभूमि है सुनसान पड़ी ,फिर भी युद्ध है आज, ना कुरु भूमि पर कोई खड़ा , न विश्व युद्ध है आज, न सीमा तोड़कर गोलियां चली है,  न गृह युद्ध है,न किसी से दुश्मनी है। सड़के सुनसान , शहर वीरान है , आखिर क्यों है बाद समर, से हालात। इंसान क्या भूल गया बनाना वह हथियार, या आशियानो में कैद होना है छोटी बात । न कोई पार्थ है, न दिया किसी ने कृष्ण संदेश , तो क्यों नतमस्तक हो, क्यों पंच परमेश्वर के पेश । कहां गया वह विज्ञान , कहां गये सारे अविष्कार, घोषित हो जिसके बूते तुम सकल जग के तारणहार। क्या भूल गये विद्या सारी या भूल हो गई कोई भारी, क्यों निरुत्तर हो गये तुम फैलने पर एसी महामारी। अब ढूंढ क्यों नहीं लेते कोई इंजेैक्शन कोई वैक्सीन , पीड़ा न होती लाखो मरणासन्न देख कर ?  या शब्द शेष है केवल "आमीन !" होती है सभी को पीड़ा होती है , प्रकृति हो या कोई सजीव , सहने की सीमा होती है , जब लांघ जाये कोई सीमा पार , तो कौन रोक सकता है विनाश । कितना छीना है आज तक मां प्रकृति से ,  लौटाया कितना है, कितना किया पर्मारथ , कितने निर...

हम थे कुछ भी नहीं .......

हम थे कुछ भी नहीं ....... हम थे कुछ भी नहीं मगर उसने हीरा कह दिया, खाक थे जो  फर्श के एक लफ्ज ने अर्श कह दिया।  सोचा न था के हमें होगी एसे उनसे  दिल्लगी कभी,  साथ ही मिला कुछ एसा के हमने  इश्क कह दिया। वादें इकरार जो हुए चाहे न हुए  पूरे  दिलो के कभी, मगर साथ रहा कुछ एसा के हमने वफा कह दिया । तकरारो का क्या वो तो हुई इश्क मे उनसे भी बहुत, मगर पास थे वो हमारे तो हमने  इकरार कह दिया। कब्जा करने की आदत न थी हममे गैरो को कभी, वो देख ही गये कुछ एसा के हमने अपना कह दिया। जितना भी रहा जब तक रहा साथ हमारा  प्यारा था, सोचता हूं क्या नाम दूं तो एक पन्ना अधूरा कह दिया। आज पास नहीं है  फिर भी जिंदा है वो हरकतो में हमारी, जिंदादिली सीखा गये जो हमने उसे ज्योति कह दिया।।   # पवन कुमार वर्मा।