।।भैया दूज।। प्यारी बहना! किसके लिये रखा है तुमने उपवास, सजाई है किसके लिये पूजा कि थाली, कौन हमउम्र है वो फैला रहे जिसके लिये, तुम खुदा के दर पर झोली। प्यारी बहना! ये रोली यो टीका ये मिठाइ ये धूप, ये किसके लिये कर रहे हो अन्नत्याग, जानते हो क्या उसे तुम, जिसकी उम्र की कामना के लिये कर रहे तुम परित्याग। प्यारी बहना! जान तो लो जिसे तुम भाई कहते हो, तुमको वो बहन कहता है, मगर तुम्हारे जैसी को बेरहम कहता है, उसे कोइ हॉट कोइ पटाखा तो कोइ बॉम दिखती है, हर लडकी देखकर उसकी आंखो में कामुकता छलकती है। उसे परवाह नही रहती है कोइ, उसे तो बस नजरो से भी प्यास बुझानी है, चाहे डरकर सहम जाये वो युवती, उसे तो बस उसकी इज्जत उछालनी है। प्यारी बहना! तुम्हारी तरफ कोइ आंखे उठाये उसकी आंखे फोड सकता है वो, माना तुम्हारे लिये जान भी दे सकता है वो, लेकिन तुम्हारे जैसी युवती को जाने क्यो खिलौना समझ बैठता है वो। क्यो हर लडकी को हवस भरी नजरो से देखता है वो, एसा नहीं कि किसी ने किया न हो उसका प्रतिकार, लेकिन तौहीन समझता है वो इसे अपनी शान की , कामुकता को ही मर्दानगी समझ बैठता ...
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