कुछ रंग हवाओं संग आजादी के हो , हो केसर की खुशबू, हरित चमन हो , श्वेत वर्ण हो पल्लवित , कण कण में, जन जन- मानस में चैन ओ अमन हो। उस नील गगन से इस मातृभूमि तक अशोक चक्र सा प्रगतिशील भुवन हो । हो हिमालय सा दृढ़ निश्चय हर जन में, ख्वाहिशों की खातिर संकल्पित मन हो। गुलामी की जंजीरे न बंधी हो विचारो मेें, सपनो की उड़ान को उन्मुक्त गगन हो । भाव हो त्याग व बलिदान के , मन में, समर्पित होकर शहीदो का सम्मान हो । तन मन धन न्योछावर हो इस मिट्टी पर , कतरा-कतरा लहू भारत मां के नाम हो । एसे कुछ रंग हवाओं संग आजादी के हो , हो तिरंगा शान,हिदुस्तान मेरी पहचान हो । @पवन कुमार वर्मा । 15.08.2020
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